सात साल बाद मड़ई मेले की धूम शुरु- बड़ी संख्या में उमड़े लोग
मड़ई-मेला चंडी पूजा के साथ पांच दिवसीय पारम्परिक उत्सव शुरू

सीजी न्यूज़ हिंदी मैनपुर / चंडी भाटा बाजार चौक से पांच दिवसीय मड़ई और चंडी मेले का शुभारम्भ हुआ। नगर की परिक्रमा और मनोकामना पूर्ति के बाद लोगों ने खरीदारी की। परम्परागत वेश भूषा में कलाकारों ने अहीर नृत्य कर दिवारी गायन किया। इस अवसर पर भारतीय संस्कृति एवं ग्रामीण परिवेश की अद्भुत झलक दिखी।
मड़ाई मेले में मैनपुर संकट मोचन हुनमान मंदिर बस स्टेशन के पास तक दुकानें लगी हैं। मैनपुर से रायपुर की ओर जाने वाली सड़क पर लगाई गई दुकानों पर देर रात तक ग्राहकों को तांता लगा रहा। रोशनी से किसान विद्या पटेल के खेत के आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के पुराने गीत-संगीत के धुन में लोगों ने मेले का आनंद लिया। जिड़ार चौक से लेकर छेव आमा की खेत खलिहान तक मड़ई मेला लगाया गया है।
शिक्षक गोविंद पटेल ने बताया कि नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र
के दुकानदारों को बिना शुल्क के सुविधाएं दी जाती हैं। दुकानदारों की दूसरी पीढ़ी भी यहां आई है। मेले में नवयुवकों की टीम ने लोगों की सुविधाओं पर ध्यान दिया,झूलों का आनंद मड़ई मेला में बच्चों ने झूलों का आनंद लिया । विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने कला के हुनर की शानदार प्रस्तुति दी। मिट्टी की कलाकृतियां सबसे आकर्षक हैं। कपड़े, बर्तन, सौंदर्य प्रसाधन, गृहस्थी आदि के सामानों की लोगों ने खरीदारी की। गुड़ की मिठाई जमकर बिकी। चाट, फुल्की और समोसे के स्टालों पर लोगों की भीड़ लगी थी। रात 10 बजे के बाद मेले भीड़ बढ़ने लगी और क्षेत्र की आए सभी देवी देवताओं की परिक्रमा होती रही ।
किशन मरकाम ने बताया कि मड़ई मेलों की सूचना महीनों पहले आसपास के गांवों में दे दी जाती थी । यह एक तरह से संस्कृति संगम स्थल हुआ करता था । इसमें व्यापारी, आमजन और साहूकार भी शामिल होते थे । वे अपने अपने क्षेत्रों के उत्पाद, हस्तशिल्प, संस्कृति से जुड़े गीत- संगीत आदि का प्रदर्शन करते थे । वतर्मान में मैनपुर ब्लॉक में दजन से अधिक मड़ई मेलों का आयोजन किया जाता है। मैनपुर का मड़ई मेला सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। यहां अन्य राज्य एवं जिलों से भी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। मेले के चलते यहां का बाजार बहुत ज्यादा चलता है। ये रिश्ते जोड़ने का माध्यम भी बनते हैं।